मैप देख चले तीन की मौत फिर भी कुछ नहीं बिगड़ेगा गूगल का गूगल के खिलाफ पुलिस जांच

नवंबर 27, 2024 - 17:40
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मैप देख चले तीन की मौत फिर भी कुछ नहीं बिगड़ेगा गूगल का गूगल के खिलाफ पुलिस जांच


मैप देख चले तीन की मौत फिर भी कुछ नहीं बिगड़ेगा गूगल का
गूगल के खिलाफ पुलिस
जांच, फिर भी बच निकलेगा
बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली में रविवार को हुए कार हादसे के मामले लोक निमाण विभाग के चार लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हुआ है. पुलिस को दी गई तहरीर में गूगल मैप्स के क्षेत्रीय प्रबंधक को भी ज़िम्मेदार माना गया है। रविवार की सुबह एक लापरवाही की वजह से कार सवार तीन युवकों की मौत हो गई थी. ऐसा माना जा रहा है कि ये युवक गूगल मैप्स को देखकर एक पुल पर चढ़ गए थे. यह पुल अभी पूरी तरह तैयार नहीं था और कार आगे जाकर सीधा नीचे

UP: गूगल मैप ने दिखाया ऐसा रास्ता, आधे-अधूरे पुल से नीचे गिरी तेज रफ्तार  कार, 3 की मौत-VIDEO - India TV Hindi
गिर गई। इस मामले में गूगल मैप्स के क्षेत्रीय प्रबंधक के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने की माँग की गई है. इस बीच, गूगल के प्रवक्ता ने कहा है कि वो इस मामले की जाँच में सहयोग करेंगे।
बदायूँ प्रशासन की तरफ़ से दातागंज के नायब तहसीलदार छविराम
ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दज कराया है। जानकारी के मुताबिक, तीन युवक अजीत, नितिन और अमित कार से बदायूँ से बरेली के फरीदपुर जा रहे थे। वे रामगंगा नदी पर बन रहे एक पुल पर चढ़ गए. यह पुल अधूरा था, जिसकी
वजह से आगे बढ़ती हुई उनकी कार
रास्ते को मंजिल तक पहुंचते हुए कानून क्या कहता है ?
नीचे गिर गई और तीनों की मौत हो दिखाया गया।
गई। एफआईआर के मुताबिक लोक निर्माण विभाग के दो सहायक अभियंताओं. अभिषेक कुमार और मोहम्मद आरिफ़ के अलावा दो अवर अभियंताओं महाराज सिंह और अजय गंगवार को नामजद किया गया है। आरोप है, लोक निर्माण विभाग के इन अधिकारियों ने जानबूझकर पुल के दोनों किनारों पर मज़बूत बैरिकेडिंग, बैरियर या रिफ्लेक्टर बोर्ड नहीं लगवाए, न ही रोड के कटे होने की सूचना के बोर्ड वगैरह लगवाए गए। गूगल मैप्स में भी इस रास्ते को सर्च करने पर कोई बैरियर नहीं दिखा और
सोशल मीडिया पर कितना भरोसा
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 46 करोड़ लोग नियमित तौर पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। शहरी मोबिलिटी के मुताबिक, मोबाइल इस्तेमाल करने वालों में करीब 45 फीसदी लोग स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं । इनमें 26 फीसदी लोग रास्ता तलाशने के लिए नेविगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं. ज्यादातर लोग नेविगेशन का इस्तेमाल छोटे रास्ते तलाशने, ट्रैफिक की जानकारी
और आने-जाने का समय पता करने के लिए करते हैं. इसकी मदद से लोग सफ़र के बेहतरीन तरीके की तलाश भी करते हैं।
नेविगेशन सिस्टम के बारे में कानून स्पष्ट नहीं है फिर भी अधिकारियों पर लापरवाही की जिम्मेदारी बन सकती है क्योंकि निर्माणाधीन पुल पर अवरोध खड़ा करना उनका काम है। आईटी एक्ट की धारा- 79, गूगल मैप्स जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म को एक 'मध्यस्थ' का दर्जा देती है। इस प्रावधान के तहत, अगर कोई प्लेटफॉर्म केवल तीसरे पक्ष के ज़रिए दी गई जानकारी जैसे सड़क, जगह वगैरह को प्रसारित करता है और उसकी सीधी भागीदारी नहीं है तो उसे कानूनी रूप से ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। अगर यह साबित हो जाए कि प्लेटफॉर्म को डेटा में गलत जानकारी थी और इसके बावजूद इसे ठीक नहीं किया गया तो 'सेफार प्रोटेक्शन' खत्म हो सकता है। अगर सड़क सफ़र के लायक नहीं थी और प्रशासन ने इसे चिह्नित नहीं किया तो वे भी जिम्मेदार ठहराए जा सकते है।
- विवेक नंदवाना, एडवोकेट, कानूनविद

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