हमारा विश्वास 'विविधता और बहुधुवीय विश्व' में हैं : मोदी

अक्टूबर 24, 2024 - 11:10
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हमारा विश्वास 'विविधता और बहुधुवीय विश्व' में हैं : मोदी


16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन : प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स देशों में सहयोग बढ़ाने पर दिया जोर, स्थानीय मुद्राओं में व्यापार के प्रयासों का किया स्वागत
हमारा विश्वास 'विविधता और बहुधुवीय विश्व' में हैं : मोदी
कजान 
प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को ब्रिक्स
देशों की आर्थिक क्षमताओं का उल्लेख करते हुए संगठन के अंतर्गत सहयोग बढ़ाने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने स्थानीय मुद्राओं में देशों के बीच व्यापार के प्रयासों का स्वागत किया व भारत की यूपीआई से संबंधित सफलता को ब्रिक्स देशों के साथ साझा करने की पेशकश की। रूस के कजान में आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा विश्वास विविधता और बहुध्रुवीय विश्व में है। मानवता के प्रति हमारा साझा विश्वास और हमारी ताकत अगली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत और समृद्ध भविष्य तय करेगी। ब्रिक्स देशों के बीच वित्तीय एकीकरण बढ़ाने के प्रयासों
का स्वागत करते हुए पीएम मोदी ने कहा स्थानीय मुद्रा में व्यापार और एक दूसरे के देशों में आसानी से भुगतान से हमारा आर्थिक सहयोग मजबूत होगा। भारत में बना यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस (यूपीआई) भारत की एक बड़ी सफलता की कहानी है। इसे कई देशों में अपनाया है। बिक्स सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए राष्ट्रपति पुतिन का धन्यवाद देने के साथ मोदी ने ब्रिक्स के नए अध्यक्ष ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डिसिल्वा को बधाई दीं। प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स देशों से जलवायु
परिवर्तन से जुड़ी भारत की ओर से
लाई गई विभिन्न पहलों से जुड़ने मोदी- जिनपिंग में वार्ता, सीमा पर शांति के लिए विवादों को सुलझाने पर जोर
अपील की और रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स ओपन कार्बन मार्केट पाटरनर्शिप
लिए बनी सहमति का स्वागत किया। उन्होंने कहा भारत में भी हरित विकास, जलवायु लचीला बुनियादी ढांचा और हरित ऊर्जा अपनाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा ब्रिक्स के सभी देशों में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर विशेष बल दिया जा रहा है। मोदी ने ब्रिक्स के नए सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा यह संगठन विश्व की जनसंख्या के 40 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, विश्व अर्थव्यवस्था में इसकी 30 प्रतिशत भागीदारी है। पिछले दो दशकों के दौरान इसने बहुत उपलब्धियां हासिल की हैं। हमें विश्वास है कि आने वाले समय में यह संगठन दुनिया के समक्ष मौजूद चुनौतियों का समाना करने का सशक्त माध्यम बनेगा ।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता में सीमा पर शांति के लिए विवादों को सुलझाने पर जोर दिया। पीएम मोदी ने करीब साढ़े चार वर्ष बाद कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अवसर पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता की। प्रधानमंत्री मोदी ने वार्ता में भारत-चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को अग्रिम मोर्चे से पीछे हटाने व 2020 में पैदा हुए मसलों के समाधान संबंधी समझौते का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन को अपने मदभेदों और विवादों को समुचित रूप से सुलझाना चाहिए ताकि सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति विपरीत रूप से प्रभावित न हो । विदेश मंत्रालय के
अनुसार वार्ता में दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि सीमा पर शांति, सामान्य स्थिति के प्रबंधन पर गौर करने तथा सीमा संबंधी मुद्दों पर विचार करने के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि शीघ्र मिलेंगे। इस बैठक में सीमा संबंधी मुद्दों के निष्पक्ष, उचित, पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तलाशने पर विमर्श होगा।
साथ ही इस पर पर भी सहमति बनी कि विदेश मंत्रियों और अन्य अधिकारियों के स्तर पर प्रासंगिक
संवाद तंत्र का उपयोग द्विपक्षीय संबंधों
को स्थिर और दोबारा सामान्य करने के लिए किया जाएगा। दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया भारत और चीन के बीच स्थिर और सोहार्द्रपूर्ण संबंधों से क्षेत्रीय ही नहीं बल्कि विश्व शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। दो पड़ोसी और दुनिया के दो सबसे बड़े देशों के बीच बेहतर संबंधों से बहुध्रुवीय एशिया व बहुध्रुवीय विश्व को बल मिलेगा। दोनों नेताओं ने इस बात पर भी बल
दिया द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक व दीर्घगामी दृष्टिकोण से आगे बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए रणनीतिक आपसी संपर्क और विकास संबधी चुनौतियों का सामना करने के लिए सहयोग के उपाय तलाशने चाहिए । 2019 के अक्टूबर में महाबलिपुरम में शिखरवार्ता के बाद यह पहला अवसर था, जब दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय वार्ता की। मई-जून 2020 में पूर्वी लद्दाख गलवान घाटी क्षेत्र में सैनिक झड़प के बाद से ही ल पर तनाव व टकराव की स्थिति थी । कजान शिखरवार्ता के ठीक पहले दोनों देशों ने टकराव के मुद्दों का समाधान करने के लिए एक समझौता किया था, जिसके आधार पर क्षेत्र में सैनिक गश्त के तौर- तरीकों पर सहमति बनी थी।

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