अब ख्वाजा साहब की दरगाह पर सवाल

नवंबर 28, 2024 - 16:56
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अब ख्वाजा साहब की दरगाह पर सवाल


अब ख्वाजा साहब की दरगाह पर सवाल
अजमेर दरगाह में शिव मंदिर दावे की याचिका स्वीकार दरगाह कमेटी समेत 3 पक्षकारों को नोटिस
अजमेर। अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका अजमेर सिविल
कोर्ट ने स्वीकार कर ली। बुधवार को नोटिस भेजा है। मामले में अगली होने का दावा किया गया है। साथ ही
अदालत ने इसे सुनने योग्य माना है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से यह याचिका लगाई गई है। सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को
सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला देते हुए दरगाह के निर्माण में मंदिर का मलबा
गर्भगृह और परिसर में एक जैन मंदिर होने की बात कही गई है।
रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला दिया गया है।
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इस किताब में जज ने मौजूदा इमारत में 75 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलबे के अंश बताए थे। इसमें एक तहखाना या गर्भगृह है, जिसमें शिवलिंग बताया गया था। किताब के अनुसार, यहां ब्राह्मण परिवार पूजा अर्चना करता
था।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने बताया, 'आप अजमेर दरगाह के आसपास घूमेंगे तो देखेंगे कि बुलंद दरवाजे पर हिन्दू परंपरा की नक्काशी की गई है। वहीं, जहां शिव मंदिर होता है, वहां झरना, पेड़ आदि जरूर होते हैं। पानी वहां जरूर होता है। ऐसे में पुरातत्व विभाग से भी अपील की है कि वे यहां जांच करें।'
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सिविल कोर्ट में 38 पेज की याचिका दाखिल दिल्ली के एडवोकेट रामस्वरूप बिश्नोई ने बताया, 'कोर्ट में 38 पेज की याचिका दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर है। दरगाह की बनावट और शिव मंदिर के प्रमाण के संबंध में भी सबूत पेश किए गए हैं। याचिका में दरगाह परिसर की सर्वे कराने की अपील की गई है। साथ ही मध्यप्रदेश में धार की भोजशाला, बनारस और अन्य जगहों का उदाहरण भी दिया गया है। याचिका में दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और पुरातत्व विभाग को पक्षकार बनाया गया है। दरगाह कमेटी ने क्षेत्र में किए गए निमाण को अवैध बताते हुए कब्जे हटाने और मंदिर में पूजा अर्चना का अधिकार दिलाने की मांग की गई है। हिंदू सेना की तरफ से एडवोकेट रामस्वरूप बिश्नोई और ईश्वर सिंह ने बहस की।
सारे दावे झूठे और निराधार
अजमेर दरगाह प्रमुख उत्तराधिकारी और ख्वाजा साहब के वंशज नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा- कुछ लोग सस्ती मानसिकता के चलते ऐसी बातें कर रहे हैं। कब तक ऐसा चलता रहेगा। आए दिन हर मस्जिद दरगाह में मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। ऐसा आना चाहिए कि इस तरह की बातें न की जाएं। ये सारे दावे झूठे और निराधार हैं। हरबिलास सारदा की किताब की बात छोड़ दें तो क्या 800 साल पुराने इतिहास को नहीं नकारा जा सकता है। यहां हिंदू राजाओं ने अकीदत की है, अंदर जो चांदी (42,961 तोला) का कटहरा वो जयपुर महाराज का चढ़ाया हुआ है। ये सब झूठी बातें हैं।

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