इसराइली हमले के बाद दुविधा में ईरान

अक्टूबर 28, 2024 - 18:22
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इसराइली हमले के बाद दुविधा में ईरान


इसराइली हमले के बाद दुविधा में ईरान
कमज़ोर दिखे या तनाव बढ़ने का जोखिम ले
तेहरान |
शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात को हुए ईरान पर इसराइल के हमले के बाद से मध्य पूर्व में युद्ध का संकट और गहरा हो गया है. ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई और उनके प्रमुख सलाहकार जो फ़ैसले ले रहे हैं, उसके केंद्र में इलाके में और भी बदतर हालात पैदा होने से बचना या जोखिम उठाना शामिल हो सकता है. उन्हें कई मुश्किल विकल्पों में से सबसे कम बुरे विकल्प पर फैसला
करना होगा।
इसके एक फैसले में बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ एक और जवाबी हमले का विकल्प है, लेकिन इसराइल ने पहले ही चेतावनी दी है कि अगर ऐसा हुआ तो वह फिर से जवाबी हमला करेगा. । ईरान के लिए
जोखिम यह है कि अगर वह अपने गुस्से पर काबू कर लेता है तो वह कमज़ोर, डरा हुआ और अमेरिकी समर्थन वाली इसराइल की सैन्य ताक़त और राजनीतिक दृढ़ संकल्प से डरा हुआ दिखाई देगा। आखिरी में ईरान के सर्वोच्च नेता और उनके सलाहकार संभवतः वही फैसला लेंगे
जो उनके विचार में ईरान के इस्लामी शासन के अस्तित्व को कम से कम नुकसान पहुंचाएगा। इसराइल के हमलों से पहले और बाद के घंटों में ईरान के आधिकारिक मीडिया ने कई निडर बयान दिए हैं. ये पहली नज़र में दिखाते हैं कि ईरान की तरफ से
इसराइल को जवाब देने का फ़ैसला पहले ही ले लिया गया था। इसकी भाषा इसराइल से मिलती-जुलती है, जिसमें हमले के खलाफ़ खुद की रक्षा करने के अपने अधिकार का हवाला दिया गया है। लेकिन ये दांव इतने बड़े हैं कि ईरान अपनी धमकियों को वापस लेने का फ़ैसला
भी कर सकता है। रविवार को ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इसराइल ने गलत कदम उठाया है, हमें उन्हें ईरान के लोगों की ताकत, दृढ़ संकल्प और पहल के बारे में बताना होगा।
दोनों तरफ़ से घातक हमले
इसराइल ने महीनों पहले ही हमले की गति तय कर दी थी. वो मानता है कि बीते साल अक्टूबर में हुए हमलों को अंजाम देने वाले हमास नाम के गुट का ईरान अहम समर्थक है. 7 अक्टूबर 2023 को हुए इन हमलों में करीब 1200 लोग मारे गए थे. मरने वालों में अधिकांश इसराइली थे, वहीं 70 से ज्यादा विदेशी नागरिक भी शामिल थे. ईरान ने कई बार संकेत दिया कि वह इसराइल के साथ पूरी तरह से युद्ध नहीं चाहता । बढ़ते तनाव को रोकना
जब तक ईरान और इसराइल को लगेगा कि अगर वो जवाब नहीं देंगे तो उन्हें कमज़ोर और हारा हुआ माना जाएगा, हमलों और जवाबी हमलों के लगातार दौर को रोकना मुश्किल है. ऐसे ही हालात में युद्ध
नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं. अब सवाल यह है कि क्या ईरान, कम से कम युद्ध के इस मोड़ पर इसराइल को अंतिम चेतावनी देने के लिए तैयार है? अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक अक्टूबर के बाद से ही जवाबी कार्रवाई करने के इसराइल के फैसले का समर्थन किया था. अगले महीने 5 नवंबर को होने वाले अमेरिकी चुनाव इसराइल और ईरान दोनों के लिए खास है क्योंकि ये तय कर सकते हैं कि अब आगे क्या होगा ।
चुनावों में अगर डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर चुना जाता है तो वो ईरान के परमाणु कार्यक्रम, तेल और गैस संयंत्रों पर हमले से बाइडन की तुलना में कम चिंतित हो सक हैं. इस बीच ईरान के नेता अपने दुश्मनों को रोकने के लिए कोई नया तरीका तलाश रहे होंगे. अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए परमाणु हथियार विकसित करना उनके एजेंडे में हो सकता है.

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