कोटा पुलिस ने ऐसी की जांच, तस्कर बरी हो गया

दिसम्बर 12, 2024 - 16:32
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कोटा पुलिस ने ऐसी की जांच, तस्कर बरी हो गया


कोटा पुलिस ने ऐसी की जांच, तस्कर बरी हो गया
जब्त गांजे को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर सत्यापित नहीं करवाया, संदेह के लाभ में आरोपी बरी

कोटा। जवाहर नगर थाना पुलिस की ओर से चार वर्ष पूर्व एक व्यक्ति को दो किलो गांजे के साथ गिरफ्तार किया था। अनुसंधान के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ न्यायालय विशिष्ट न्यायाधीश एनडीपीएस प्रकरण में चालान पेश किया था। लेकिन पुलिस ने बरामद गांजे को न्यायाधीश के समक्ष सत्यापित नही करवाया।
न्यायालय ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। पुलिस जांच में खामी पाएं जाने पर न्यायाधीश रामपाल ने फैसला सुनाते हुए कड़ी टिप्पणी की है।
न्यायाधीश ने फैसले मे कड़ी टिप्पणी करते हुए लिखा कि इस प्रकार जब्ती के समय फर्द एवं फर्द गिरफ्तारी के संबंध में जब्तीकर्ता अधिकारी एवं मौतबीर पुलिसकर्मी गवाहों के बयानों में विरोधाभास प्रकट होता है। जो कि अभियोजक के लिए घातक है। ऐसे विरोधाभासी बयान यदि पुलिस के इंटीग्रेटेड पुलिसकर्मी गवाहों में ही पाया जाना अपने आप में अभियोजन की कहानी की विश्वसनीयता पर संदेह
उत्पन्न करता है। एवं बचाव पक्ष की ओर से दिए गए कथन कि अभियुक्त को उसके घर से दस दिन पहले उठाकर ले गए ओर उसके खिलाफ यह झूठा मामला बना दिया। ऐसे कथनों की ताईद गवाह गायत्री बाई ने अपने बयानों में की है। उसको बल प्राप्त होता है।
न्यायाधीश ने टिप्पणी में आगे लिखा कि इस प्रकार पत्रावली के उपलब्ध मौखिक एवं दस्तावेजजी साक्ष्यों का समग्र तौर पर अवलोकन करने से यह प्रकट होता है कि इस प्रकरण में सर्वप्रथम ही जब्तशुदा मादक पदार्थ गांजा होने के संबंध में संदेह उत्पन्न होता है। क्योकि जब्तशुदा माल को घटना के 20 दिन
बाद एफएसएल के लिए भिजवाया गया है। जब्तशुदा माल सैंपल को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर सत्यापित भी नही करवाया गया। गवाह भीमसिंह को न्यायालय के समक्ष पेश नही किया
न्यायाधीया ने टिप्पणी में लिख कि इसके अतिरिक्त एफएसएल भेजने वाले गवाह भीमसिंह को न्यायालय के समक्ष परीक्षित नही करवाया गया। फर्द गिरफ्तारी एवं जामा तलाशी के संबंध में भी गवाहों ने विरोधाभासी कथन किए है, जबकि फर्द गिरफ्तारी एवं जामा तलाशी मौके पर तैयार की गई है। इसके अतिरिक्त जब्तीकर्ता की ओर
से कथित तलबी नोटिस के जवाब में संबंध में जो उल्लेख फर्द चैकिंग एवं जब्ती व साक्ष्य के दौरान किया गया है। वह जवाब पत्रावली पर एवं नोटिस पर उपलब्ध ही नही है । इस प्रकार कथित फर्द चैकिंग एवं जब्ती कार्रवाई ही संदेह के घेरे में आ जाती है। साथ ही जब्ती की कार्रवाई के दौरान स्वतंत्र गवाहों के सुलभ उपलब्धता के बावजूद उनकी उपस्थिति के लिए मात्र औपचारिकताएं पूरी किया जाना प्रतीत होता है। लिहाजा अभियुक्त को अपराध की धारा 8/20 (बी) (द्वितीय) (बी) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम
की धारा 1985 में संदेह का लाभ
दिया जाकर दोषमुक्त किया जाने योग्य है।
यह था मामला
प्रकरण के तथ्यों के अनुसार 24 जुलाई 2020 को शाम 7.43 बजे जवाहर नगर थानाधिकारी रामकिशन ने मय पुलिस जाप्ते एएसआई देशराज, हैड कांस्टेबल मोहनलाल कांस्टेबल हरवेन्द्र के साथ गश्त करते हुए तलवण्डी, जवाहर नगर, दुर्गा बस्ती होते हुए घोड़े बस्ती में सरकारी स्कूल के पास पहुंचे। जहां एक संदिग्ध नजर आया था। तलाशी लेने पर थैली में से दो किलो गांजा बरामद हुआ। पुलिस ने गांजा जब्त कर आरोपी को गिरफ्तार किया था।

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