नियम बदले, नो डिटेंसन पॉलिसी खत्म

दिसम्बर 24, 2024 - 16:54
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नियम बदले, नो डिटेंसन पॉलिसी खत्म


नियम बदले, नो डिटेंसन पॉलिसी खत्म
5वीं-8वीं कक्षा में फेल होने पर 2 महीने में दोबारा एग्जाम होगा, फिर फेल हुए तो भी स्कूल से नहीं निकाला जाएगा
अब 5वीं- 8वीं में फेल होने वाले बच्चे
अगली क्लास में नहीं होंगे प्रमोट
नई दिल्ली (एजेंसी)।
केंद्र सरकार ने बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमों में संशोधन करते हुए 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म कर दिया है। इससे अब राज्यों को पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को परीक्षा में फेल होने पर भी अगली कक्षा में भेजने की
बाध्यता से मुक्ति मिल गई। संशोधित नियम के तहत 5वीं व 8वीं की वार्षिक परीक्षा में असफल हो जाने वाले बच्चों को दो महीने के दोबारा परीक्षा देनी होगी। यदि वे दोबारा भी सफल नहीं होते हैं तो उनको अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय ने निर्णय लिया है कि 5वीं-8वीं कक्षा 'ने सोमवार को कहा मंत्रालय कुमार में सभी प्रयास करने के बाद यदि रोकने की आवश्यकता पड़े तो रोका जाए। इसमें यह भी प्रावधान किया है 8वीं कक्षा तक किसी भी बच्चे को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाए। उन्होंने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के
तहत हम यह भी चाहते हैं कि बच्चों का लर्निंग आउट कम बेहतर हो इसको प्रयास में लाने के लिए पढ़ाई में कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान भी दिया जा सकेगा। नियमों में किये बदलावों से यह संभव हो सकेगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। इसमें कहा केंद्र सरकार, निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (2009 का
35) की धारा 38 की उपधारा (2) के खंड ( च क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010 का और संशोधन करने के लिए नियम बनाती है। इन नियमों का संक्षिप्त नाम निशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) नियम, 2024 है। ये सरकारी राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से लागू हो गए हैं।
संशोधित नियमों के अनुसार, राज्य प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में कक्षा 5 और 8 में नियमित परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं व यदि कोई छात्र असफल होता है तो
उन्हें अतिरिक्त निर्देश दिया जाएगा व दो महीने बाद परीक्षा में फिर से बैठने का मौका दिया जाएगा। यदि कोई छात्र परीक्षा में पदोन्नति की आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहता है, तो उन्हें कक्षा 5 या कक्षा 8 में रोक दिया जाएगा। हालांकि आरटीई अधिनियम इस बात पर जोर देता है किसी भी बच्चे को कक्षा 8 पूरी करने तक स्कूल से नहीं निकाला जाएगा। प्रधानाचार्यों को अनुत्तीर्ण बच्चों की सूची बनाए रखने, सीखने में अंतराल की पहचान करने व इन कक्षाओं में अनुत्तीर्ण बच्चों के लिए विशेष इनपुट प्रावधानों की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करनी होगी।

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