शीतकाल के लिए बंद हुए केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट
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शीतकाल के लिए बंद हुए केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट
मंदिर की भव्य सजावट, सैन्य बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच बाबा केदार के जयघोष से गूंजा धाम, 15 हजार श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने बाबा की डोली पहले पड़ाव
को प्रस्थान, छह माह शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन देहरादून। विश्व प्रसिद्ध और ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ धाम के कपाट भैयादूज के पावन पर्व पर रविवार प्रातः साढ़े 8 बजे विधि-विधान और धार्मिक परंपरा के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस दौरान सेना के भक्तिमय धुनों के साथ श्रद्धालुओं के 'जय बाबा केदार' के उद्घोष से पूरा धाम गूंज उठा। 15 हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। अब आने वाले छह महीने तक भक्तगण बाबा केदार के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन कर सकेंगे। रविवार प्रातः पांच बजे से
जय भोलेनाथ
बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय की उपस्थिति में कपाट बंद किए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई। बीकेटीसी के आचार्य, वेदपाठियों, पुजारीगणों ने केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा
की। स्वयंभू शिवलिंग को भस्म, पुष्पों, बेलपत्र आदि से समाधि रूप दिया । प्रातः 08:30 बजे बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाया और केदारनाथ मंदिर के
कपाट बंद कर दिए गए। इस विशेष चारधाम यात्रा अवसर के लिए दीपावली के दिन से
ही फूलों से मंदिर की साज-सज्जा की जा रही थी। कपाट बंद होने के साथ बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली अपने पहले पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान कर गई। हजारों श्रद्धालु बाबा की पंचमुखी डोली के साथ पैदल रवाना हुए। श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह भंडारे आयोजित किये थे। केदारनाथ में मौसम साफ रहा। आसपास बर्फ होने से सर्द हवा भी चलती रही लेकिन श्रद्धालुओं में भारी उत्साह रहा। कपाट बंद होने के अवसर पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि इस यात्राकाल में रिकार्ड साढ़े 16 लाख से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ धाम पहुंचे।
समापन की ओर इस वर्ष की उत्तराखंड चारधाम यात्रा समापन की ओर है। धामों में मौसम
सर्द हो गया। बदरीनाथ के कपाट 17 नवंबर को बंद हो रहे हैं। गंगोत्री धाम के कपाट बीते शनिवार 2 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो गये हैं केदारनाथ के कपाट आज प्रातः बंद हुए व यमुनोत्री धाम के कपाट आज दोपहर को बंद हो जाएंगे। जबकि गुरुद्वारा हेमकुंट साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट 10 अक्टूबर को बंद हो गए। द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट 20 नवंबर को बंद हो रहे हैं, तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट सोमवार को बंद होंगे। चतुर्थ केदार रूद्रनाथ के कपाट 17 को बंद हुए।
सात लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे यमुनोत्री
शीतकाल में खरसाली के मंदिर में होगी यमुना पूजा
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के चार धामों में प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज के पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा अर्चना के साथ शीतकाल के लिए बंदकर दिए। पूरे शीतकाल में मां यमुना की पूजा अर्चना खरसाली स्थित यमुना मंदिर होगी। रविवार को अपराह्न 12 बजकर 5 मिनट पर मां यमुना जी के कपाट विधि-विधान के साथ पूजन करने के बाद बंद कर दिए गए। उद्गम स्थल स्थित उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध धाम यमुनोत्री के कपाट बंद होने के बाद
पुलिस सुरक्षा के साथ यमुनोत्री से पावनी मां यमुना की डोली ढोल- दमाऊ के साथ शनिदेव महाराज की अगुवाई में खरसाली (खुशीमट्ठ) गांव के लिए रवाना हुई। पूरे शीतकाल के दौरान श्रद्धालु मां यमुनाजी के दर्शन व पूजा-अर्चना खरसाली स्थित यमुना मंदिर में कर सकेंगे। इस मौके पर क्षेत्रीय विधायक संजय डोभाल, बृजेश तिवारी, यमुनोत्री मंदिर समिति सचिव सुरेश उनियाल सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। लेखनीय है इस वर्ष 7 लाख 11 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने सुरक्षित तरीके से यमुनोत्री धाम पहुंच कर मां यमुना के दर्शन किये।
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