रिसीवर नहीं मिलने से हार्ट नहीं हो सका दान ; 5 दिन पहले हुआ था एक्सीडेंट

नवंबर 19, 2024 - 16:33
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रिसीवर नहीं मिलने से हार्ट नहीं हो सका दान ; 5 दिन पहले हुआ था एक्सीडेंट


रिसीवर नहीं मिलने से हार्ट नहीं हो सका दान ; 5 दिन पहले हुआ था एक्सीडेंट
शाबाश शुभम : मौत के बाद भी तीन
जननायक संवाददाता जयपुर। 5 दिन पहले एक्सीडेंट में घायल 26 साल के युवक ने मरने के बाद भी 3 लोगों की जिंदगियां बचाई। ब्रेन डेड होने के बाद परिजनों ने उसके अंगदान पर सहमति दी। इसके बाद युवक की दोनों किडनी और लिवर को दान किया गया। जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में सोमवार शाम करीब 5.30 बजे युवक का ऑपरेशन कर ऑर्गन निकाले गए। लिवर को जोधपुर एम्स भेजा गया, जबकि दोनों किडनी एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के ट्रांसप्लांट की गई। अलवर जिले के रामगढ़ निवासी शुभम पुत्र स्व. महेश चंद गोयल का 13 नवंबर को मॉर्निंग वॉक के दौरान एक्सीडेंट हो गया था। गंभीर रूप से घायल शुभम
को अलवर अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज से कोई राहत नहीं
मिलने पर उसे 13 नवंबर को ही जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया। यहां 17 नवंबर की शाम को डॉक्टर ने
उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। अंगदान करने के लिए परिवार को समझाया
डॉक्टर मनीष अग्रवाल और डॉ. चित्रा सिंह ने बताया- शुभम का कई
डॉक्टरों ने इलाज किया और ठीक करने का पूरा प्रयास किया। शुभम की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सका। 17 नवंबर की देर शाम शुभम ब्रेन डेड हो गया। इसके बाद हमारी टीम ने उसके परिजनों से बात की
और अंगदान करने के लिए प्रेत किया। समझाने पर शुभम की माता हेमलता ने अंगदान पर सहमति जताई।
एसएमएस हॉस्पिटल में अंगदान करने का ये 33वां मामला
डॉक्टर ने बताया- सोमवार की शाम को शुभम का ऑपरेशन कर दोनों किडनी लिवर निकाला गया। दोनों किडनी सुपर स्पेशियलिटी में भर्ती 2 मरीजों को लगाई, जबकि
को दे दी जिंदगी
लिवर को जोधपुर एम्स भेजा गया। डॉक्टरों ने बताया- एसएमएस हॉस्पिटल में अंगदान करने का ये 33वां मामला है। 30 साल से कम उम्र के
मरीजों को लगाई दोनों किडनी
यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. शिवम प्रियदर्शी ने बताया- शाम को ट्रांसप्लांट के लिए ऑर्गन मिले है, जिनको
ट्रांसप्लांट कर दिया गया। दान की गई दोनों किडनी पुरुष मरीज को लगाई गई, जो 30 साल से कम उम्र के हैं।
घर में अकेला ही कमाता या शुभम
डॉक्टरों के मुताबिक शुभम पिता की मौत के बाद उसी ने घर संभाल रखा था। वह प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करता था। उसके साथ उनकी मां और छोटा भाई रहते थे। हार्ट का कोई रिसीवर नहीं मिला
डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया- हार्ट को दान करने के लिए हमने सोटो और नोटो दोनों प्लेटफार्म पर डिटेल उपलब्ध करवाई। इतना ही नहीं। एनआरआई लेवल पर भी हार्ट के मरीज के लिए दान किए इस हार्ट को | देने की पेशकश की। कोई भी रिसीवर नहीं मिला। इस कारण उसका हार्ट दान नहीं हो सका।

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