उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बना
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उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बना
सीएम धामी ने यूसीसी नियमावली और पोर्टल का किया लोकार्पण
देहरादून। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) सोमवार को लागू हो गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम में यूसीसी को लागू करने के लिए नियमावली और पोर्टल का लोकार्पण किया। साथ ही उत्तराखंड स्वतंत्र भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया जहां यह कानून प्रभावी हो गया है। इसके बाद से विवाह, तलाक, लिव इन, लिव इन से अलग होना, विरासत आदि के ऑनलाइन पंजीकरण शुरू हो गए। धामी ने कहा यूसीसी की नियमावली को संबंधित अधिकारियों
के प्रशिक्षण के बाद लागू किया गया। उन्होंने कहा कि यूसीसी से समाज में एकरूपता आएगी व सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार व दायित्व सुनिश्चित होंगे। यूसीसी के अंतर्गत जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया है।
यूसीसी नियमावली समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि आज का दिन इतिहास लिखने का दिन है । नियमावली बनाने के दौरान ला कमीशन की रिपोर्ट से प्रेरणा ली गई। साथ राज्यभर में दौरा कर संवाद किया। समय रहते यानी निर्धारित अवधि में इस नियम के तहत कार्य करने की व्यवस्था की गई है। शिकायत देरी पर
सोम 2
एक्शन की व्यवस्था भी यूसीसी में किया गया है। विवाह विच्छेद का भी सर्टिफिकेट देने की व्यवस्था की गई है । डेटा को सरल बनाया गया । निजी डेटा का भी ख्याल रखा है। अगर किसी को आपत्ति नहीं है तो उस व्यक्ति की उसके अनुसार उनकी डेटा की जानकारी ली जा सकती है। इस प्रकार की डेटा में व्यवस्था की गई है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा
कि यूसीसी में सभी देवतुल्य जनता के हितों की चिंता करते हुए सरल बनाया है। इससे सभी वर्ग के लोगों को शीघ्र न्याय मिलेगा। सभी सरकारी विभागों को नियमों को लेकर आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। अधिनियम के क्रियान्वयन के दौरान कोई भी समस्या आएगी उसका त्वरित निस्तारण किया जाएगा। उत्तराखंड अन्य राज्यों के लिए उदहारण बन गया है।
यूसीसी नियम के तहत पूजा- पद्धति व परंपराओं में कोई बदलाव नहीं किया । कोई भी शख्स बहुविवाह नहीं कर पाएगा। सभी के लिए तलाक का कानून एक जैसा होगा । लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराना भी जोड़ों के लिए अनिवार्य होगा। इस दौरान पैदा होने वाले बच्चे को भी
शादीशुदा जोड़े के बच्चे की तरह अधिकार मिलेगा। उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर की हिस्सेदारी होगी। यूसीसी में विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है । इसके लिए कट ऑफ डेट 27 मार्च 2010 रखी गई है। यानी इस दिन से हुए सभी विवाह पंजीकृत कराने होंगे । विवाह का पंजीकरण 6 माह के भीतर करना होगा । विवाह पंजीकरण करने के लिए किए गए आवेदन पर कानूनी स्वीकृति न मिलने पर विवाह का आवेदन स्वीकृत जाएगा। यूसीसी के नियम-कानून से अनुसूचित जनजाति को बाहर रखा गया है। ट्रांसजेंडर, पूजा-पद्धति और परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
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