प्रधानमंत्री ने 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का किया उद्घाटन
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प्रधानमंत्री ने 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का किया उद्घाटन, प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस को दिखाई हरी झंडी
ने
तेजी से आगे बढ़ रहा 21वीं सदी का भारत: मोदी बढ़
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को भुवनेश्वर में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा पिछले दस वर्षों में अन्य देश भारत की ओर देखने लगे हैं। भारत की बात को आज दुनिया ध्यान से सुनती है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधन की शुरुआत भगवान जगन्नाथ व भगवान लिंगराज की पावन धरती पर पूरे विश्व से आए अपने भारतवंशी परिवार का स्वागत करके की। उन्होंने कहा यह भारत में जीवंत उत्सवों और समारोहों का समय है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा मात्र 10 वर्षों में भारत में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ चुके हैं। मात्र 10 वर्षों में भारत दुनिया की 10वीं
से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन
गया है। वह दिन दूर नहीं जब भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। भारत की सफलता को आज दुनिया देख रही है। 21वीं सदी का भारत, आज जिस गति से आगे बढ़ रहा है, वो अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि दुनिया में जब तलवार के जोर पर साम्राज्य बढ़ाने का दौर था, तब हमारे सम्राट अशोक ने यहां शांति का रास्ता चुना था । हमारी विरासत का ये वही बल है, जिसकी प्रेरणा से आज भारत, दुनिया को ये कह पाता है कि भविष्य युद्ध में नहीं, बुद्ध में है।
प्रधानमंत्री ने भारतीय डायस्पोरा को भारत का राष्ट्रदूत बताते हुए कहा कि पिछले 10 सालों में वह दुनिया के कई नेताओं से मिले। दुनिया का हर नेता अपने देश में रहने वाले भारतीय
प्रवासियों की तारीफ करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप उनके समाज में सामाजिक मूल्य जोड़ते हैं। भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए कहा लोकतंत्र हमारे जीवन का हिस्सा है। हमें विविधता सिखानी नहीं पड़ती, हमारा जीवन ही विविधता से चलता है। भारतीय जहां भी जाते हैं, वहां के समाज के साथ जुड़ जाते हैं। भारतीय जहां भी जाते हैं, वहां के नियम व परंपरा का सम्मान करते हैं । हम पूरी ईमानदारी से उस देश की,
उस समाज की सेवा करते हैं। इस सबके साथ ही हमारे दिल में भारत धड़कता रहता है। प्रधानमंत्री ने कहा हम आपकी सुविधा और आराम को बहुत महत्व देते हैं। आपकी सुरक्षा व कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। संकट की स्थिति में अपने प्रवासी भारतीयों की मदद करना हम अपनी जिम्मेदारी समझते हैं, चाहे वे कहीं भी हों। यह आज भारत की विदेश नीति के मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक है। पिछले एक दशक में, हमारे दूतावास और कार्यालय दुनिया में संवेदनशील और सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले कई देशों में लोगों को कांसुलर सुविधाओं का उपयोग करने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। उन्हें मदद के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता था । अब ये समस्याएं हल
हो रही हैं। पिछले दो वर्षों में ही 14 दूतावास और वाणिज्य दूतावास खोले गए हैं। ओसीआई कार्ड का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। इसे मॉरीशस के 7वीं पीढ़ी के पीआईओ तक बढ़ा दिया है।
प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीयों से कहा कि वह जब अगली बार भारत आएं तो अपने साथ भारतीय मूल से बाहर के कम से कम पांच मित्रों को लेकर आएं। आप जहां रहते हैं वहां अपने मित्रों को भारत आने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने डायसपोरा के युवा मित्रों से भारत को जानिए क्विज में हिस्सा लेने व स्टडी इन इंडिया प्रोगाम का लाभ लेने की अपील की। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत प्रवासी भारतीयों से विदेशों में अपनी मां के नाम पर एक पेड़ लगाने का आह्वान किया।
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