डिजिटल पर्सनल डेटा सुरक्षा एक्ट के लिए ड्राफ्ट नियम जारी, डेटा चोरी पर लगेगी लगाम
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डिजिटल पर्सनल डेटा सुरक्षा एक्ट के लिए ड्राफ्ट नियम जारी, डेटा चोरी पर लगेगी लगाम
नई दिल्ली। पर्सनल डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम लागू होने जा रहा है। लोगों के पर्सनल डेटा को साइबर अपराधियों से बचाने के लिए सरकार ने एक मसौदा तैयार किया। रविवार को सरकार ने इस संबंध में तैयार मसौदों और उसके नियमों को जारी कर दिया है। इससे डेटा चोरी शिकंशा कसा जा सकेगा। सरकार ने शिकायत निवारण व डेटा संरक्षण बोर्ड बनाने का भी निर्णय लिया है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल पर्सनल डेटा सुरक्षा एक्ट के लिए ड्राफ्ट नियम जारी किए, जिसके अनुसार डेटा फिड्युसरी (ऐसी संस्था या व्यक्ति, जो पर्सनल डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता की जिम्मेदारी लेता है) के लिए बच्चे के किसी पर्सनल डेटा को प्रोसेस करने से पहले माता-पिता
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सहमति लेना अनिवार्य होगा। ड्राफ्ट के अनुसार शिकायत निवारण और डेटा संरक्षण बोर्ड बनाया जाएगा। डिजिटल बोर्ड कार्यालय के तौर पर काम करेगा। इसमें एक डिजिटल प्लेटफार्म और ऐप होगा, जिससे लोग डिजिटल संपर्क में रहेंगे व शिकायत कर सकेंगे। डिजिटल बोर्ड समयबद्ध तरीके से शिकायतों का
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निपटारा, सजा का न्यायिक ढांचा प्रदान करेगा। डेटा जिस ट्रस्टी के पास होगा, वो सालाना सुरक्षा उपाय, आकलन और ऑडिट सुनिश्चित करेंगे। मंत्रालय ने कानून बनाने के लिए 18 फ़रवरी तक लोगों से सुझाव मांगे है।
ड्राफ्ट नियमों के मुताबिक संपूर्ण डेटा सुरक्षा ढांचा, नागरिकों को केंद्र में
रखकर बनाया है। व्यक्तिगत डेटा कैसे संसाधित किया जाता है, डेटा प्रत्ययी को इसके बारे में स्पष्ट-सुलभ जानकारी प्रदान करनी चाहिए, जिससे सूचित सहमति मिल सके। नागरिकों को डेटा मिटाने की मांग करने, डिजिटल नॉमिनी नियुक्त करने और डेटा को प्रबंधित करने के लिए उपयोगकर्ता के अनुकूल तंत्र तक पहुंचने के अधिकारों के साथ सशक्त बनाया है। ये नियम नागरिकों को उनके डेटा पर अधिक नियंत्रण देकर सशक्त बनाएंगे। सूचित सहमति, डेटा मिटाने का अधिकार, शिकायत निवारण के प्रावधान, नागरिकों का डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर विश्वास बढ़ेगा। माता-पिता व अभिभावक अपने बच्चों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सशक्त हैं।
वाचार और विनियमन के बीच संतुलन
इस व्यवस्था में छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप के लिए अनुपालन के कम दबाव की परिकल्पना की है। इसके तहत सभी के लिए पर्याप्त अवधि प्रदान की जाएगी, ताकि छोटे उद्यमों से लेकर बड़े कॉरपोरेट, तक सभी हितधारक नए कानून का अनुपालन करने के लिए सुचारू रूप से बदलाव कर सकें। डिजिटल-प्रथम दृष्टिकोण
ये नियम 'डिज़ाइन द्वारा डिजिटल ' दर्शन पर आधारित हैं। जीवनयापन व व्यवसाय करने में आसानी सुनिश्चित करने के लिए सहमति तंत्र शिकायत निवारण और डेटा संरक्षण बोर्ड की कार्यप्रणाली, सभी को 'बॉर्न डिजिटल' के रूप में परिकल्पित किया है। बोर्ड डिजिटल कार्यालय के रूप में कार्य करेगा, जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म व ऐप होगा, जो नागरिकों को डिजिटल
रूप से संपर्क करने व उनकी भौतिक उपस्थिति की ज़रुरत के बिना, उनकी शिकायतों का निपटारा करने में सक्ष करेगा। शिकायतों को संसाधित करने से लेकर डेटा प्रत्ययी के साथ बातचीत करने तक, निवारण की रफ्तार और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पूरी व्यवस्था को अनुकूलित किया है। ये नागरिकों तथा डेटा प्रत्ययी के बीच विश्वास पैदा करता है।
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